ज़िंदगी तेरे नख़रे भी हजार है
ज़िंदगी तेरे नख़रे भी हजार है
क्यों तुम्हे दर्द से इतना प्यार है
कलम लिखने को बहुत बेक़रार है
क्योंकि इश्क खुद ही आज बीमार है
ज़िंदगी तेरे नख़रे भी हजार है
प्रकृति ने खुद किया तुम्हारा शृंगार है
उनकी चाहत भी बेशुमार है
मैसेज के साथ साथ ऑडियो भी भेज दिया
पर किया नहीं आज तक इजहार है
ज़िंदगी तेरे नख़रे भी हजार है
लेकिन तेरा आशिक बहुत दिलदार है
प्यार ही जीवन का आधार है
सोच रहा हूँ क्या लिखू तुम पर ‘निल्को’
वो कहती है तुम्हारी कलम,कैमरा, कम्प्यूटर सब लाजवाब है
ज़िंदगी तेरे नख़रे भी हजार है
एम के पाण्डेय निल्को
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-02-2019) को \”हिंदी की ब्लॉग गली\” (चर्चा अंक-3235) पर भी होगी।–सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।–चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।–हार्दिक शुभकामनाओं के साथ…।सादर…!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय शास्त्री जी बहुत बहुत आभार यूँ ही आशीर्वाद बनाये रखें
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Very nice
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